नीतीश का अनुभव बनाम तेजस्वी का जोशबिहार की राजनीति इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। दो अलग पीढ़ियों के नेता, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आमने-सामने हैं। एक ओर नीतीश कुमार का अनुभव है, जिन्होंने बिहार में कई सालों तक शासन किया है, और दूसरी ओर तेजस्वी यादव का युवा जोश है, जो नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रहा है।

     नीतीश कुमार: अनुभव का सहारा

नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में बिहार में बुनियादी ढाँचे और शासन में सुधार पर ध्यान दिया है। उनके नेतृत्व में सड़कें बेहतर हुईं, कानून व्यवस्था में सुधार आया, और उन्होंने एक स्थिर शासन देने की कोशिश की है। उनके समर्थक मानते हैं कि उनका अनुभव राज्य को आगे ले जाने में मददगार होगा।

        तेजस्वी यादव: युवा जोश और नई उम्मीदें

दूसरी ओर, तेजस्वी यादव अपने युवा विचारों और नई सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उनके पिता लालू प्रसाद यादव और माँ राबड़ी देवी दोनों ही मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तेजस्वी ने हाल ही के वर्षों में युवाओं को नौकरियों का वादा करके और बदलाव की बात करके एक अलग पहचान बनाई है। वे यह संदेश दे रहे हैं कि वे एक नई पीढ़ी की उम्मीदों को साथ लेकर चलेंगे।

           स्टूडेंट्स और युवा मतदाताओं का रोल

इस चुनाव में स्टूडेंट्स और युवा मतदाताओं की भूमिका काफी अहम है। तेजस्वी यादव ने खास तौर पर युवा वोटर्स को लुभाने के लिए रोजगार और शिक्षा के मौके बढ़ाने का वादा किया है। वहीं नीतीश कुमार अपने स्थिर शासन और अब तक के विकास कार्यों पर भरोसा जता रहे हैं।

         “अगले मुख्यमंत्री का अनुमान”

आखिर में सवाल यही है कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। अभी यह कहना मुश्किल है कि जनमत किसके पक्ष में जाएगा, लेकिन मुकाबला कांटे का है। आने वाले नतीजे तय करेंगे कि बिहार की कमान अनुभवी हाथों में रहेगी या युवा नेतृत्व को मौका मिलेगा..🤔

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